Saturday, June 20, 2009

इस देश का
लोकतंत्र
गणतंत्र
सभ्यता
संस्कृति
सत्य
धर्म
अहिंषा
सभी
चौराहे
पर
खड़ी
है
लगता
है
दिल्ली
की
आखं
फ़िर
किसी
दगाबाज
से
लड़ी
है

विजय विनीत

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